Ramleela
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Uitgever: Createspace Independent Publishing Platform
Auteur:
Munshi Premchand
- Hindi
- Paperback
- 9781523810031
- 02 februari 2016
- 126 pagina's
Samenvatting
इधर एक मुद्दत से रामलीला देखने नहीं गया। बंदरों के भद्दे चेहरे लगाए, आधी टाँगों का पजामा और काले रंग का ऊँचा कुरता पहने आदमियों को दौड़ते, हू-हू करते देखकर अब हँसी आती है, मज़ा नहीं आता। काशी की रामलीला जगद्विख्यात है। सुना है, लोग दूर-दूर से देखने आते हैं। मैं भी बड़े शौक से गया, पर मुझे तो वहाँ की लीला और किसी वज्र देहात की लीला में कोई अंतर न दिखाई दिया। हाँ, रामनगर की लीला में कुछ साज़-सामान अच्छे हैं। राक्षसों और बंदरों के चेहरे पीतल के हैं, गदाएँ भी पीतल की हैं, कदाचित् वनवासी भ्राताओं के मुकुट सच्चे काम के हों, लेकिन साज़-सामान के सिवा वहाँ भी वही हू-हू के सिवा और कुछ नहीं। फिर भी लाखों आदमियों की भीड़ लगी रहती है।
लेकिन एक ज़माना वह था, जब मुझे भी रामलीला में आनंद आता था। आनंद तो बहुत हलका सा शब्द है। वह आनंद उन्माद से कम न था। संयोगवश उन दिनों मेरे घर से बहुत थोड़ी दूर रामलीला का मैदान था और जिस घर में लीला पात्रों का रूप-रंग भरा जाता था, वह तो मेरे घर से बिलकुल मिला हुआ था। दो बजे दिन से पात्रों की सजावट होने लगती थी। मैं दोपहर ही से वहाँ जा बैठता और जिस उत्साह से दौड़-दौड़कर छोटे-मोटे काम करता, उस उत्साह से तो आज अपनी पेंशन लेने भी नहीं जाता। एक कोठरी में राजकुमारों का श्रृंगार होता था। उनकी देह में रामरज पीसकर पोती जाती, मुँह पर पाउडर लगाया जाता और पाउडर के ऊपर लाल, हरे, नीले रंग की बुंदकियाँ लगाई जाती थीं। सारा माथा, भौंहें, गाल, ठोड़ी बुंदकियों से रच उठती थीं। एक ही आदमी इस काम में कुशल था। वही बारी-बारी से तीनों पात्रों का श्रृंगार करता था। रंग की प्यालियों में पानी लाना, रामरज पीसना, पंखा झलना मेरा काम था।
प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Search the book by ISBN)
01. ईदगाह (ISBN: 9788180320606)
02. पूस की रात (ISBN: 9788180320613)
03. पंच-परमेश्वर (ISBN: 9788180320620)
04. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637)
05. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651)
06. कजाकी (ISBN: 9788180320644)
07. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668)
08. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675)
09. सुजान भगत (ISBN: 9788180320729)
10. रामलीला (ISBN: 9788180320682)
11. धोखा (ISBN: 9788180320699)
12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736)
13. बेटों वाली विधवा (ISBN: 9788180320743)
14. दो बैलों की कथा (ISBN: 9788180320750)
15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705)
16. घरजमाई (ISBN: 9788180320767)
17. दारोगाजी (ISBN: 9788180320774)
18. कफ़न (ISBN: 9788180320781)
19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798)
20. दो भाई (ISBN: 9788180320712)
लेकिन एक ज़माना वह था, जब मुझे भी रामलीला में आनंद आता था। आनंद तो बहुत हलका सा शब्द है। वह आनंद उन्माद से कम न था। संयोगवश उन दिनों मेरे घर से बहुत थोड़ी दूर रामलीला का मैदान था और जिस घर में लीला पात्रों का रूप-रंग भरा जाता था, वह तो मेरे घर से बिलकुल मिला हुआ था। दो बजे दिन से पात्रों की सजावट होने लगती थी। मैं दोपहर ही से वहाँ जा बैठता और जिस उत्साह से दौड़-दौड़कर छोटे-मोटे काम करता, उस उत्साह से तो आज अपनी पेंशन लेने भी नहीं जाता। एक कोठरी में राजकुमारों का श्रृंगार होता था। उनकी देह में रामरज पीसकर पोती जाती, मुँह पर पाउडर लगाया जाता और पाउडर के ऊपर लाल, हरे, नीले रंग की बुंदकियाँ लगाई जाती थीं। सारा माथा, भौंहें, गाल, ठोड़ी बुंदकियों से रच उठती थीं। एक ही आदमी इस काम में कुशल था। वही बारी-बारी से तीनों पात्रों का श्रृंगार करता था। रंग की प्यालियों में पानी लाना, रामरज पीसना, पंखा झलना मेरा काम था।
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01. ईदगाह (ISBN: 9788180320606)
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04. बड़े घर की बेटी (ISBN: 9788180320637)
05. नमक का दारोगा (ISBN: 9788180320651)
06. कजाकी (ISBN: 9788180320644)
07. गरीब की हाय (ISBN: 9788180320668)
08. शतरंज के खिलाड़ी (ISBN: 9788180320675)
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11. धोखा (ISBN: 9788180320699)
12. जुगनू की चमक (ISBN: 9788180320736)
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15. बड़े भाई साहब (ISBN: 9788180320705)
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19. बूढ़ी काकी (ISBN: 9788180320798)
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Inhoud
- Taal
- hi
- Bindwijze
- Paperback
- Oorspronkelijke releasedatum
- 02 februari 2016
- Aantal pagina's
- 126
- Illustraties
- Nee
Betrokkenen
- Hoofdauteur
- Munshi Premchand
- Hoofduitgeverij
- Createspace Independent Publishing Platform
Overige kenmerken
- Extra groot lettertype
- Nee
- Product breedte
- 127 mm
- Product hoogte
- 7 mm
- Product lengte
- 203 mm
- Studieboek
- Nee
- Verpakking breedte
- 127 mm
- Verpakking hoogte
- 7 mm
- Verpakking lengte
- 203 mm
- Verpakkingsgewicht
- 132 g
EAN
- EAN
- 9781523810031
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